रंगभूमि--मुंशी प्रेमचंद

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... ताहिर-बिरादर, आजकल ज़रा तंग हो गया हूँ, मगर अब जल्द कारखाने का काम शुरू होगा, मेरी भी तरक्की होगी। बस, तुम्हारी एक-एक कौड़ी चुका दूँगा। जगधर-ना साहब, आज तो मैं ...

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